लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी,
कैसी हो।देखो मै तुम से नाराज़ हूं मै हर बार तुम से पूछती हूं कैसी हो लेकिन तुम कभी नही पूछती कि मैं कैसी हूं।
चलो कोई ना।जब भी मन करे पूछ लेना। मै बता दूं आज मै खुश हूं क्यों ,इसका कारण तुम्हें बताती हूं
एक बहुत बड़ा बोझ था मन पर आज हल्का हो गया।बात यूं थी कि एक बूढी अम्मा है जिनका मेरे ऊपर एक अहसान था।काफी दिनों से सोच रही थी कि उनका अहसान तो मै किसी कीमत पर नहीं चुका सकती पर अगर उनके कुछ काम आ जाऊं तो बड़ी बात है।
बात यूं थी कि एक बार मै बहुत बीमार हो गयी थी कमजोरी बहुत आ गयी थी। थोड़ा ठीक होने पर एक दिन मैंने अपनी शोप पर जाने की ज़िद की उस दिन पतिदेव कही बाहर गये थे बेटे दोनों स्कूल मे थे। पतिदेव जाते जाते कह गये कि तुम्हें कमजोरी है तुम मत जाना शोप पर ये तो तुम्हें पता ही है कि मेरी कपड़े की शोप है पर बीमारी की वजह से काफी समय से बंद थी।मेरा मन नही माना और मै शोप के लिए चल दी घर से निकाल कर आटो किया । आटोरिक्शा वाला मेरी शोप से तकरीबन पांच सो मीटर की दूरी पर छोडता है आगे कोई साधन नहीं मिलता सो पैदल जाना पड़ता है।मै आटोरिक्शा से उतरकर पैदल जा रही थी कि थोड़ी ही दूर चली हूंगी कि तभी मुझे चक्कर आ गया और मै गिरने ही वाली थी कि तभी एक बुजुर्ग महिला भाग कर मेरे पीछे आयी और उसने मुझे बांहों में भर लिया।बस मुझे इतना याद है तभी मै बेहोश हो गयी।ओर हां मुझे बेहोश होने से पहले यह भी दिखाई दे रहा था कि सामने से तेज स्पीड से एक गाड़ी आ रही थी।बाकि की कहानी कल बताऊंगी अच्छा अलविदा सखी।कोई आया है।
Pratikhya Priyadarshini
30-Nov-2022 11:26 PM
बहुत खूब 💐
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Khan
29-Nov-2022 05:38 PM
Nice 👍
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